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दुर्गा पूजा का इतिहास : दुर्गा पूजा की शुरुआत कैसे हुई?

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दुर्गा पूजा: वो कहानी जो मुझे कभी बताई ही नहीं गई आपको याद है, बचपन में त्योहार का मतलब क्या होता था? मेरे लिए तो त्योहार का मतलब था स्कूल की छुट्टियाँ, घर में बनती मिठाइयों की खुशबू, और नए कपड़ों की ज़िद। दुर्गा पूजा मेरे शहर का सबसे बड़ा त्योहार नहीं था, लेकिन पड़ोस में रहने वाली एक बंगाली आंटी के घर की चहल-पहल आज भी याद है। उन कुछ दिनों के लिए उनका घर जैसे एक जादुई दुनिया बन जाता था। ढाक की वो धुन... अरे यार, वो आवाज़ कानों में नहीं, सीधे दिल में बजती थी। और वो पंडाल में माँ दुर्गा की विशाल मूर्ति, उनकी आँखों में एक अजीब सी शक्ति और शांति का संगम। मैं घंटों बस उन्हें देखता रहता था। मुझे लगता था कि ये बस एक धार्मिक त्योहार है। देवी ने राक्षस को मारा, अच्छाई की जीत हुई, और हम उसी का जश्न मना रहे हैं। सीधी, सरल और सुंदर कहानी। है न? पर कुछ साल पहले, जब मैंने इस त्योहार के बारे में थोड़ा और जानना चाहा, तो मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। पता चला कि जिस कहानी को मैं भक्ति और आस्था की कहानी समझ रहा था, उसकी जड़ें एक राजनीतिक साज़िश, सत्ता के खेल और अंग्रेज़ों के सामने वफ़ादारी साबित करने की ...

SANATAN DHARMA HISTORY : सनातन धर्म का असली सच जो मैंने जाना

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सनातन की वो पहेली, जिसे सुलझाने में शायद एक उम्र लग जाए यार, एक बात बताओ? क्या आपके घर में भी एक 'पूजा वाला कमरा' या एक छोटा सा कोना है? मेरे घर में था। बचपन की मेरी सबसे धुंधली यादों में से एक है वो कोना। दीये की पीली रोशनी में चमकती देवी-देवताओं की छोटी-छोटी मूर्तियाँ, अगरबत्ती का वो महकदार धुआँ जो पूरे घर में फैल जाता था, और दादी का वो धीमा-धीमा मंत्रोच्चार। जब भी कोई त्योहार आता, घर में एक अलग ही रौनक होती। पर मेरे छोटे से दिमाग़ में हमेशा एक सवाल घूमता रहता था। मेरी दादी शिवजी की पूजा करती थीं, मेरी माँ दुर्गा जी की कट्टर भक्त थीं, और मेरे पापा हनुमान चालीसा के बिना दिन शुरू नहीं करते थे। और जब कोई मुझसे पूछता कि 'तुम किसे मानते हो?', तो मैं कन्फ्यूज हो जाता था। घरवाले कहते, "बेटा, बोलो हम सनातनी हैं।" सच कहूँ, तो ये 'सनातनी' शब्द मेरे लिए किसी हॉलीवुड की साइंस-फिक्शन फिल्म के भारी-भरकम शब्द जैसा था। इसका मतलब क्या है? क्या यह कोई सुपरहीरोज की टीम है जिसमें शिव, दुर्गा, हनुमान सब हैं? या यह कोई नियम-कानून की मोटी सी किताब है? ये सवाल मेरे अंदर सालो...